हजरत अल्लामा वा मौलाना हाजी इश्तियाक आलम मिस्बाही नूरी अशरक साहब का ईसाल-ए-शवाब प्रोग्राम का आयोजन।

हज़रत अल्लामा व मौलाना अल्हाज़ इस्तियाक अहमद मिस्बाहि नूरी अशरफ साहब अलैहिरहमा का एसाले सवाब की ताज़ियाति महफिल मंगलवार को उनके मकान मसरातु गाँव हज़ारीबाग में नेहायत हीं तजज्कू अहतज़ाम के साथ मुनाकिद हुई जिसमें कसीर तादाद में लोगों ने शिरकत की जबके नेजामत का फराएज़ हजरत मौलाना हाफिज़ मुम्ताज आलम खतिबो इमान मसरातु पुरानी मसजिद ने अन्जाम दिया – महफिल का आगाज़ हाफिज़ व कारी महमूद रज़ा नूरी ने तेलावते कुरान से किया – बादहू हाफिज़ रफीक, हाफिज़ गुलाम साबिर, कारी रामशुद्दिन, साहेब ने यकेवा दिगरे माते रसूल सलल्लाहो तआला अलैहे वसल्लम को सुनाकर सामेईन को महजूज किया।

साथ हीं कारी महमूद रज़ा नूरी ने खिताब करते हुए कहा के मरहूम अलहाज मौलाना इसतियाक अहमद मिसबाहि अशरक साहब अलैहिर्रहमा एक बहुत बड़े मुत्तकी परहेज़गार के साथ-साथ सच्चे और पक्के आशिके रसूल थे जिसका इज़्हार नाते रसूल की शक्ल में पढ़ कर पेश किया, मौलाना कलीम रिजवी ने खिताब फरमाते हुए कहा के हज़रत मौलाना इस्तियाक अहमद मिसबालि अशरक अपने वक्त के एक बेहतरीन आलिमें बअमल थे आप फाज़िले अशरिफिया थे, कारी सगीर साहब ने कहा के हज़रत मौलान इस्तियाक साहब बअमल के साथ परहेज़गार और आमिले कुरानो सुन्नत थे।

इस मौके पर हजरत मौलाना नूर मुहम्मद साहब ने कहा के, हज़रत मौलाना इस्तियाक अलैहिरह‌मा मसलके आला हज़रत के सच्चे तरजमा थे- इस मौके पर हज़रत के वसाल पर हजारीबाग के तमाम ओलमाए अहले सुनत शरीके गम है- महफिल में अनवर हुसैन रिजवी, गुलाम मुस्तफा, खादिम हुसैन और इनके अलावा बहुत सारे गुलामाने मुस्तफा ने शिरकत की आखिर में सलातो सलाम व फातिहा खानी और दुआ के साथ महफिल का एखतताम यज़ीर हुआ।

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